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National flag tricolor insulted: राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का अपमान या इसे क्षति पहुचाई तो क्या दंडात्मक प्रावधान हैं आइये जानते हैं ।


भारत द्वारा वर्ष 2020 में अपना 74वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया है तथा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त के दिन लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराया गया।


भारतीय राष्ट्र ध्वज तिरंगे का डिज़ाइन कैसे तैयार हुआ - Tricolor design of indian national flag


 भारतीय राष्ट्र राष्ट्र ध्वज तिरंगे के डिज़ाइन का श्रेय काफी हद तक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) को दिया जाता है। उन्होंने दो प्रमुख समुदायों, हिंदू और मुस्लिमों के प्रतीक के रूप में दो रंग की पट्टियों/बैंड (लाल और हरे रंग) को मिलाकर झंडे की एक मूल संरचना ( Basic structure ) प्रस्तुत की। महात्मा गांधी द्वारा शांति एवं भारत में रहने वाले बाकी समुदायों तथा देश की प्रगति के प्रतीक के रूप में चरखा का प्रतिनिधित्व करने के लिये इस ध्वज़ में एक सफेद बैंड को जोड़ने का सुझाव दिया गया । वर्ष 1963 में पिंगली वेंकैया का निधन हो गया तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिये वर्ष 2009 में मरणोपरांत उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया। वर्ष 2014 में, उनका नाम भारत रत्न के लिये भी प्रस्तावित किया गया था।


राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास क्या है ? History of national flag


 भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज संभवतः 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था।

इस ध्वज में लाल, पीले एवं हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ शामिल थीं, जिनके मध्य में ‘वंदे मातरम’ लिखा हुआ था। झंडे पर लाल रंग की पट्टी में सूर्य और अर्द्धचंद्र का प्रतीक था और हरे रंग की पट्टी में आठ आधे खुले कमल थे।

वर्ष 1907 में ध्वज : मैडम भीकाजी कामा और निर्वासित क्रांतिकारियों के समूह द्वारा वर्ष 1907 में जर्मनी में भारतीय ध्वज फहराया गया जो विदेशी भूमि में फहराया जाने वाला पहला भारतीय ध्वज था।


वर्ष 1917 का ध्वज : डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा होम रूल आंदोलन के दौरान एक नए झंडे को अपनाया गया। यह पाँच वैकल्पिक लाल रंग एवं चार हरी क्षैतिज पट्टियों में मिलकर बना था जिसमें सप्तऋषि विन्यास में सात सितारे थे।  इस संयुक्त ध्वज में एक सफेद एवं अर्द्धचंद्राकार तारा ध्वज़ के शीर्ष कोने पर विद्यमान था।


वर्ष 1931 का ध्वज: कॉन्ग्रेस समिति की कराची में बैठक में तिरंगे को (पिंगली वेंकैया द्वारा प्रस्तावित) भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। ध्वज के लाल रंग को केसरी रंग से बदल दिया गया एवं रंगों का क्रम बदला गया। इस ध्वज की कोई धार्मिक व्याख्या नहीं की गई थी। 

National flag tricolor insulted: राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का अपमान या इसे क्षति पहुचाई तो क्या दंडात्मक प्रावधान हैं आइये जानते हैं ।


तिरंगा का केसरी रंग का महत्व 

ध्वज के शीर्ष पर स्थित केसरी रंग ‘ताकत और साहस’ का प्रतीक है।

तिरंगा का श्वेत रंग का महत्व 

 मध्य में सफेद रंग ‘शांति और सच्चाई’ का प्रतिनिधित्व करता है ।

तिरंगा का हरा रंग का महत्व 

ध्वज के नीचे स्थित हरा रंग ‘भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभता’ का प्रतीक है।


तिरंगा के अशोक चक्र का उद्देश्य

ध्वज में विद्यमान चरखे को 24 तीलियों से युक्त अशोक चक्र द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि ’ गति में जीवन है और स्थायित्त्व में मृत्यु है’।


राष्ट्रीय ध्वज आकर और अनुपात - National flag size and proportion

राष्ट्रीय ध्वज आयताकार आकर में होना चाहिये जिसकी लंबाई एवं चौड़ाई क्रमश 3:2 के अनुपात में होता है।


संवैधानिक एवं कानूनी पक्ष

संविधान सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज के प्रस्ताव को अपनाया गया । इस प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘भारत का राष्ट्रीय ध्वज गहरे केसरिया (केसरी), समान अनुपात में सफेद और गहरा हरे रंग का तिरंगा होगा’ सफेद पट्टी में गहरे नील रंग का चक्र (चरखे द्वारा प्रतिस्थापित) है , जो अशोक की सारनाथ स्थित राजधानी के सिंह स्तंभ पर उपस्थित है। संविधान सभा की समितियों में से एक, राष्ट्रीय ध्वज पर गठित तदर्थ समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।


संविधान का भाग IV-A (जिसमें केवल एक अनुच्छेद 51-A शामिल है) ग्यारह मौलिक कर्तव्यों को निर्दिष्ट करता है। अनुच्छेद 51 ए (ए) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे।


राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971

एक व्यक्ति जो राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत वर्णित निम्नलिखित अपराधों के लिये दोषी पाया जाता है, तो उसे 6 वर्ष तक के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनावों में लड़ने के लिये अयोग्य घोषित किया जाता है। इन अपराधों में शामिल है-

  • राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना।
  • भारत के संविधान का अपमान करना।
  • राष्ट्रगान गाने से रोकना।


राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के सम्मान का प्रतीक है और इसका सत्कार करना हम सभी का कर्तव्य है। परंतु देखने में आया है कि कुछ स्थानों पर लोग राष्ट्रीय ध्वज का आदर नहीं करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय ध्वज आचार संहिता 2002 व राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत कार्रवाई की जाएगी जिसमें ३ वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है या फिर दोनों ही हो सकते हैं।


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